



मामला पाटन का हो और वन विभाग का नाम न हो तो बात ही नहीं बनती, आपको बता दे की शासन द्वारा लाखो करोड़ो रूपये खर्च कर पर्यावरण को सुदृढ़ बनाने हरा भरा रखने कई योजना बनाकर लाखो करोड़ो की लागत से नर्सिंरी व अन्य पौधरोपण का कार्य कराया जाता रहा है.
उसी क्रम मे पाटन विधानसभा के गनगर पंचायत पाटन के वार्ड क्रमांक 02,03 मे वनविभाग द्वारा पर्यावरण के संदेश देने कृष्ण कुंज नाम से नर्सिंर नर्सरी बनाया गया है जिसमे लाखो रूपये खर्च किये गए है. वंही उनके देख रेख हेतु दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, मजदूर भी रखे गए थे. लेकिन आज आलम यह है की इस लाखो के प्रोजेक्ट नर्सरी की देख रेख करने की फुरसत आज किसी अधिकारी के पास नहीं.
पानी की कमी व देखरेख के आभाव मे पेड़, पौधे मर गए, सुख गए है.
आपको बता दे की पाटन मे स्थापित वन विभाग का कार्यालय तो बना है लेकिन अधिकारी नहीं रहते, आवश्यक कोई कार्य या कोई उच्च अधिकारियो के आने पर ही दर्शन देते है बाकि समय गायब रहते है. लोगो के अनुसार क्षेत्र मे प्रतिबंध कौहा की कटाई जोरो पर है जिसमे अधिकारियो का आशीर्वाद भरपूर बना हुआ है जिसके कारण लकड़ी कोचीया बेफिक्र होकर लकड़ी भर भर कर ले जाते है कार्यवाही नहीं होती.
कार्यालय का आलम यह है की कार्यालय मे शासकीय अधिकारियो कर्मचारी नहीं दैनिक वेतन भोगी के रूप मे कार्यरत मजदूर कार्यालय संभाल रहे है. पूरा कार्य इनके भरोसे हो रहा है., ऐसे अधिकारी कर्मचारी के लापरवाह कार्यों से शासन सहित पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है. व लाखो का नुकसान शासन को हो रहा है.